शक्तिनगर। एनसीएल की कोयला खदानों में निजी कंपनियों (आउटसोर्सिंग) के माध्यम से अधिभार हटाव में नियोजित हैवी मशीनों के परिचालन में बड़ा गड़बड़झाला सामने आया है। आरोप है कि दूसरे राज्यों में पंजीकृत हैवी मशीनें व उच्च क्षमता भार वहन के डंपरों को बिना परमिट व अन्य वैधानिक के परिचालित किया जा रहा है। इससे केंद्र व राज्य सरकारों को चपत लग रही है। मामला कोयला मंत्रालय पहुंचने के बाद संबंधितों की बेचैनी बढ़ गई है।

एविडेंस (एनजीओ) ने पूरे मामले पर केंद्रीय कोयला व खान मंत्री को पत्र भेजा है। कोयला मंत्रालय ने जांच इकोनॉमी एडवाइजर डा. मानिक चंद्र पंडित को सौंप दिया है। आरोप है कि कोल इंडिया लिमिटेड की कमाऊ अनुषंगी कंपनी नार्दर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एनसीएल) की अमलोरी, खड़िया व झिंगुरदा कोयला क्षेत्रों में ओवर बर्डेन (ओबी) निस्तारण का कार्य कर रही कलिंगा कामर्शियल कार्पोरेशन लिमिटेड (केसीसीएल) भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। उपरोक्त कोयला क्षेत्रों में अधिक कमाई के लिए कलिंगा कंपनी ने नियम कायदों को शिथिल कर दिया है। दूसरे प्रदेशों में पंजीकृत हैवी खनन इक्यूपमेंट (एचईएम) को बिना परमिट व अन्य वैध कागजातों के कंपनी यहां संचालित कर रही है। इसके चलते केंद्र व राज्य सरकारों (यूपी व एमपी) के राजस्व को करोड़ों की क्षति पहुंच रही है। एचईएम को एक समय के बाद या अधिक टैक्स (लाखों रुपये) बकाया होने पर निष्प्रोज्य घोषित कर स्क्रैप कारोबारी को बेच दिया जाता है। इससे सरकारों को इक्यूपमेंट परिचालन के एवज में
मिलने वाली करोड़ों की राशि से वंचित होना पड़ रहा है। इस कदाचार में कोयला क्षेत्र के अधिकारियों व परिवहन अफसरों की भूमिका संदेह के घेरे में है। एविडेंस के अध्यक्ष एके अंश ने बताया कि संगठन के पास मौजूद आंकड़े के मुताबिक कलिंगा कामर्शियल कार्पोरेशन लिमिटेड की एनसीएल झिंगुरदा में करीब 100 उच्च भार परिवहन क्षमता के वाल्वो डंपर, उच्च क्षमता की 15 पोकलेन मशीनें, एक लोडर, तीन ग्रेडर, छह डोजर व बसें संचालित है। इनमें से अधिकतर के परमिट व अन्य जरूरी कागज फेल हैं। इसी तरह एनसीएल अमलोरी कोयला क्षेत्र में 150 वाल्वो डंपर, 34 पीसी (पोकलेन मशीनें), तीन ग्रेडर, छह डोजर संचालित हैं। एनसीएल खड़िया कोयला क्षेत्र में भी फिलहाल करीब 50 वाल्वो डंपर, पांच पीसी मशीनें, डोजर, ग्रेडर सहित अन्य इक्यूपमेंटों को नियोजित किया गया है। इन एचईएम के बारे में सभी जानकारी एनसीएल के जिम्मेदार अधिकारियों को है इसके बावजूद यह नेटवर्क फल फूल रहा है और देश को चपत लग रही है।