संपादकीय आर्यावर्त न्यूज़ नेटवर्क
बालू खनन क्षेत्र में हैवी मशीनों के इस्तेमाल से धीरे-धीरे समाप्त हो रहे हैं सो नदी के कई जलीय जीव, अधिकारियों ने साथ रखी है चुप्पी
जनपद सोनभद्र की सोन नदी भारत की उन चुनिंदा नदियों में से एक है जो प्राचीन होने के साथ-साथ कई सभ्यताओं को अपने किनारो पर बसाए हुए हैं। किंतु जनपद सोनभद्र की सोन नदी में इन दोनों बालू के खनन करता नदी के जलीय जीवों के लिए काल बनते जा रहे हैं।
स्थानीय मछुआरों की माने तो कुछ साल पहले तक मछुआरों की आजीविका का मुख्य स्रोत नदियां होती थी किंतु लगातार नदियों से मछलियों के समाप्त होने के कारण उन्हें अब दूसरे रोजगार के ओर पलायन करना पड़ रहा है। सोन व रेडुका नदी की जलधारा में नदी को बांधकर खनन का कार्य किया जा रहा तो वही बड़ी-बड़ी नाव एवं नव के ऊपर लगाकर मशीनों से पानी के अंदर से प्रेशर के द्वारा बालू का खनन किया जा रहा है जिसे साफ देखा जा सकता है ऐसा भी नहीं की स्थानीय अधिकारियों को मामले की जानकारी नहीं है किंतु खनन कर्ताओं के आगे अधिकारी न जाने क्यों चुप्पी साथ रखे हैं।
स्थानीय मछुआरों की माने तो हेवी मशीनरी के इस्तेमाल से नदियों से बालू के साथ कई जलीय जीव मछली ,कछुए, केकड़ा, घोंघा, साथ ही साथ अन्य कई जलीय जीव शामिल है मशीनों के अंदर प्रेशर से नष्ट होते जा रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर इन जीवों के छोटे बच्चे भी प्रेशर के कारण तेजी से खत्म होते जा रहे हैं पर्यावरण के जानकारों की माने तो किसी भी नदी के जीवन के लिए इन जलीय जीवों का होना अत्यंत आवश्यक है जिसे देखते हुए लगातार सरकार द्वारा समय-समय पर नदियों में जलीय जीवों को छोड़ा जाता है किंतु जिस तेजी से खनन करता मशीनों का इस्तेमाल कर रहे हैं आने वाले वक्त में सोन नदी जलीय जीवों से बिल्कुल वंचित हो जाएगी।
बीते दिसंबर मे मौके पर पाहुची थी जांच करने वाली टिम, खनन कारोबारियों मे मचा था हड़कंप
जुगैल थाना अंतर्गत सोन नदी में अवैध खनन की शिकायत पर वन, खनन व एनजीटी की संयुक्त ने निरीक्षण किया। एसडीएम के साथ पहुंची टीम ने बालू खनन क्षेत्र की पैमाइश भी की गई थी। इस दौरान खनन कारोबारियों मे हड़कंप मच गया था और बालू खनन करने वाली हैवी मशीनों को नदियो से तत्काल हटा दिया गया था और खनन भी कुछ समय के लिए बंद कर दिया गया था। जांच टिम ने रिपोर्ट बनाकर उच्चाधिकारियों को भेजी दी थी।